खाटू श्याम को हारे का सहारा क्यों कहते हैं

आपका सवाल है की खाटू श्याम को हारे का सहारा क्यों कहते हैं? आपको बता दे की खाटू श्याम जी (Khatu Shyam Ji) की बहुत पुराणी कहानी है जिसको हम बता दे रहे है।

आपको महाभारत के समय के बारे में तो पता ही होगा महाभारत काल का समय एक युद्ध का समय था जिसको कौरव और पांडवों की महायुद्ध के नाम से भी पहचाना जा सकता है जब कौरव और पांडवों के बीच में युद्ध की घोषणा हुई थी उसे टाइम में बर्बरीक नाम का एक धनुर्धर था साथ ही साथ उसकी बहुत सारी मायावी विधियां भी हासिल थी और वह माता जी का भक्त था जिसकी वजह से माताजी ने उसको तीन बानो की शक्ति दी थी जिसमें उसके पास में तीन बाण थे और वह अपने आप उसके त्तरकस में आकर रख जाते थे वह अपने उन तीन बानो के माध्यम से ही समस्त कौरव और पांडवों को हरा सकता था और युद्ध जीत सकता था

Jaipur To Khatu Shyam Ji Bus Timetable

बर्बरीक नाम का यह धनुर्धर भीम का पौत्र और घटोत्कच का पुत्र था घटोत्कच भीम का बेटा था। जब महाभारत का युद्ध शुरू हुआ था तो बर्बरीक ने अपनी मां को वादा किया था कि जिस भी तरफ की सेना हारती दिखेगी उसे तरफ से मैं युद्ध लडूंगा इसीलिए खाटू श्याम को हारे का सहारा कहा जाता है।

खाटू श्याम का दूसरा नाम बर्बरीक या बर्बरीक का दूसरा नाम खाटू श्याम है। जब श्री कृष्णा को पता लगा कि जो बर्बरीक है वहां उस साइड से लड़ाई करेगा या युद्ध में भाग लेगा जिस तरफ से युद्ध में पराजय दिखाई देगी। श्री कृष्ण को पहले से पता था कि कौरवों की हार होने वाली है इस वजह से उसे यह भी पता था कि अगर बर्बरीक कौरवों की ओर से लड़ेगा तो पांडवों की हार निश्चित है।

श्री कृष्ण ने ब्राह्मण का वेश बदलकर शाम के समय में बर्बरीक के कैंप में गए और उससे उसका शीश मांग लिया, बर्बरीक ने बिना सोचे समझे अपना शीश को काटकर श्री कृष्ण को सौंप दिया। उसके बाद में बर्बरीक का नीचे का धड़ हरियाणा के हिसार जिले में पीपल के पेड़ के नीचे रह गया जहां आज भी उसकी पूजा होती है और उसका शीश राजस्थान के सीकर जिले के खाटू नगर में दफनाया गया था इसके बाद में उसको एक गाय रोजाना सीष कर अपने दूध से नहलाती थी कुछ लोगों ने देखा उसके बाद में एक ब्राह्मण को उस शीश को ब्राह्मण को दिया गया उस ब्राह्मण के स्वप्न में आकर बताया कि आपके यहां पर मंदिर का निर्माण करना चाहिए और यहां आज मंदिर का निर्माण खाटू श्याम मंदिर का निर्माण किया गया है इसी वजह से श्री खाटू श्याम जी को हर का सहारा किया बोला जाता है कि जिस तरफ से हार होती दिखती है उसे तरफ से खाटू श्याम का साथ हमेशा रहता है और उसकी माता को यह वचन दिया गया था।

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